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International Journal of Physical Education, Sports and Health
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P-ISSN: 2394-1685 | E-ISSN: 2394-1693 | CODEN: IJPEJB

2025, Vol. 12, Issue 1, Part B

योगचिकित्‍सा के अंतर्गत षट्कर्म के द्वारा वात पित्‍त एवं कफ दोष का निवारण : एक अध्‍ययन


Author(s): कु प्रियंका, प्रो. विनीता बाजपाई मिश्रा, डॉ. मनोरमा निखरा

Abstract:
योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने की कला और विज्ञान है जिसकी उत्पत्ति भारत में हुई हैए यह सबसे प्राचीन लेकिन जीवंत जीवित परंपराओं में से एक है जो आज तेजी से लोकप्रिय हो रही है। एक शक्तिशाली तनाव निवारकए योग शारीरिक और मानसिक कल्याण के माध्यम से आत्म.विकास और ज्ञानोदय का एक साधन है। योग के लाभों का एक पहलू स्वास्थ्य और सौंदर्य के बीच संबंध का पता लगाना है। योग बच्चों को मजबूत बनाता है । योग एक कलाए विज्ञान और दर्शन है। यह शारीरिकए मानसिकए भावनात्मक और बौद्धिक स्तर पर स्वास्थ्य को बढ़ावा देने की तकनीक प्रदान करता है। योग को मन और शरीर की चिकित्सा का एक रूप माना जाता है। आयुर्वेद में संक्षेपतरू तीन दोष माने जाते हैं वातए पित्‍त तथा कफदृवायुरू पित्‍तं कफश्‍चेति त्रयोदोषरू समासतरू । क्‍योंकि ये शरीर को दूषित करते हैं इसलिये इन्‍हें दोष कहा जाता है। घेरण्‍ड संहिता में बताया गया है कि शरीर में उत्‍पन्‍न त्रिदोषों.वातए पित्‍तए कफ को षट्कर्म के द्वारा संतुलित करते हैं।ण्

DOI: 10.22271/kheljournal.2025.v12.i1b.3631

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How to cite this article:
कु प्रियंका, प्रो. विनीता बाजपाई मिश्रा, डॉ. मनोरमा निखरा. योगचिकित्‍सा के अंतर्गत षट्कर्म के द्वारा वात पित्‍त एवं कफ दोष का निवारण : एक अध्‍ययन. Int J Phys Educ Sports Health 2025;12(1):70-75. DOI: https://doi.org/10.22271/kheljournal.2025.v12.i1b.3631

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