भारत का प्राचीन मनोविज्ञान: योगदर्शन के परिपेक्ष्य में
Author(s): कुलदीप कुमार, सी. पी. सिंह भाटी, माधवी चंद्रा, भानुप्रताप सिंह बुन्देला
Abstract: भारत की ज्ञान परम्परा विश्व की प्राचीनतम और समृद्धतम परम्परा है, जिसमें योग का विशेष महत्व है। भारतीय दर्शन में योग को आस्तिक और नास्तिक दोनों ही दर्शनों द्वारा स्वीकारा गया है और मोक्ष प्राप्ति हेतु योगिक साधना पर जोर दिया गया है। महर्षि पतंजलीकृत योग दर्शन का इसमें खास स्थान है, जो मन, बुद्धि, और अहंकार जैसे मनोवैज्ञानिक शब्दों की गहन विवेचना करता है। इस योगसूत्र पर वेद व्यासकृत व्यास भाष्य में चित्त की भूमियों का भी विस्तृत वर्णन किया गया है, जिससे इसे भारतीय परम्परा का मनोविज्ञान कहना उचित है।
कुलदीप कुमार, सी. पी. सिंह भाटी, माधवी चंद्रा, भानुप्रताप सिंह बुन्देला. भारत का प्राचीन मनोविज्ञान: योगदर्शन के परिपेक्ष्य में. Int J Phys Educ Sports Health 2025;12(1):08-11. DOI: https://doi.org/10.22271/kheljournal.2025.v12.i1a.3619